Indian Hindi sex story
अकेली पड़ोसन के साथ बन गयी बात मैं अपनी एक दस साल पुरानी घटना आप लोगों के साथ आज शेयर करने जा रहा हूं. इसलिए अब मैं सीधे हिंदी भाभी सेक्स कहानी पर आता हूं क्योंकि आपका समय भी कीमती है.
उस वक्त मैं 19 साल का था और अपनी 12वीं की पढ़ाई कर रहा था. मेरे आखिरी इम्तिहान होने में अभी काफी समय बचा हुआ था.
उन दिनों नयी नयी जवानी आना शुरू हुई थी और शरीर के यौनांग उस समय कुछ ज्यादा ही ध्यान खींचते हैं.
लड़कों की नजर और विचार दोनों ही लड़कियों के स्तनों और उनकी योनि में उलझे रहते हैं. वहीं लड़कियों की नजर भी लड़कों के चेहरे से लेकर उनके पूरे बदन तक को खंगालती रहती है.
मेरे मन में भी नारी तन के प्रति ऐसी ही प्यास जाग रही थी कि हर वक्त चूत और चूचियों के ऊपरी दर्शन के लिए भी आंखें लालायित रहती थीं.
अब इस आग में घी का काम कर रही थी मेरे घर से दो घर छोड़कर रहने वाली मेरे पड़ोस की एक भाभी.
उस भाभी का नाम सोनी था लेकिन सब लोग प्यार से उसको बिट्टो बुलाते थे. उनका पति पेशे से एक ठेकेदार था. दम्पति के दो बच्चे भी थे.
बिट्टो भाभी का पति परायी स्त्रियों में ज्यादा रूचि लिया करता था.
मगर ऐसा भी नहीं था कि वो सोनी भाभी का ख्याल नहीं रखता था. वो उनको किसी चीज की कमी नहीं रखता था.
मुझे धक्का तब लगा जब मुझे पता चला कि उसका पति कोई और नहीं बल्कि उसका जीजा ही है. उन जीजा साली ने आपस में ही शादी कर ली थी.
फिर उनके पति को एक कत्ल के जुर्म में जेल हो गयी. उसके बाद भाभी की जिन्दगी में दुख ही दुख भर गया. वो काफी परेशान रहने लगी.
मैं उनके घर की तरफ कम ही जाता था.
मगर जब से उसको देखा था मैं उसका दीवाना हो गया था. मैं किसी तरह उससे बात करने की कोशिश करने लगा.
अब वो उदास ज्यादा रहती थी.
फिर भी धीरे धीरे मैंने उससे किसी न किसी बहाने से बात करने की कोशिश की.
मेरी कोशिश कामयाब भी रही और धीरे धीरे हमारी हाय हैलो होने लगी.
ऐसे ही करते करते मैंने उससे बोलचाल करने का रास्ता निकाल ही लिया.
वो मुझसे कई बार काम भी बता दिया करती थी. मुझे तो बस मौका चाहिए होता था कि कब भाभी मुझे काम सौंपे और कब मुझे उनके पास जाने का बहाना मिले.
एक दिन उसने मुझे मार्केट चलने के लिए कहा और मैं उसके साथ चला गया.
उस दिन वो बाइक पर मेरी जांघ को पकड़ कर बैठी थी. उसका हाथ ठीक मेरे लंड की बगल में था केवल 3-4 इंच की दूरी पर.
भाभी के कोमल हाथों का जांघों पर स्पर्श होने से मेरे लंड एकदम से तनाव आ गया था.
मेरा लंड झटके पर झटके देने लगा.
मैंने थोड़ा जांघें खोलकर कोशिश भी की कि किसी तरह भाभी का हाथ और नीचे की तरफ आये और मेरा लंड उनके हाथ से टच हो जाये मगर ऐसा हुआ नहीं.
इतना जरूर हुआ कि जब हम सामान लेने के लिए उतरे तो मेरा लंड मेरी पैंट में अलग से दिख रहा था.
भाभी की नजर भी उस पर पड़ गयी थी. मगर मेरे देखते ही उसने नजर फेर ली.
फिर हम सामान लेकर वापस आने लगे. आते वक्त भी भाभी का हाथ मेरी जांघ पर था. एक हाथ में उसने थैला पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से मेरी जांघ पर मेरी पैंट को पकड़ा हुआ था.
अबकी बार वो मेरे लंड की तरफ उंगलियों को सरकाने की कोशिश कर रही थी.
मुझे भी लगने लगा था कि हवस की ये आग सिर्फ मेरे ही जिस्म में नहीं लगी बल्कि भाभी भी उसी आग में जल रही है.
फिर मुझे ध्यान आया कि इसके अंदर तो बहुत चुदास होगी; तभी तो इसने अपने जीजा से ही शादी कर ली.
वरना ऐसे जीजा साली की शादी होना बहुत ही हैरान करने वाली बात है.
हम लोग वापस आ गये.
अब मेरे पास भाभी का फोन नम्बर भी आ गया था. हम दोनों की चैट भी शुरू हो गयी थी. कई बार मैं उसको डबल मीनिंग जोक भेज दिया करता था और वो भी कुछ नहीं कहती थी.
इस तरह से दिन कट रहे थे और एक दिन अचानक रात के 10 बजे भाभी का फोन बजा कि उसका मन बहुत घबरा रहा है.
मैंने सोचा कि भाभी का रक्तचाप कम हो गया है. वो काफी परेशान मालूम पड़ रही थी.
इसलिए मैं झट से कपड़े पहन कर उनके घर जा पहुंचा.
गेट अंदर से बंद नहीं था.
मैंने गेट बजाया तो कोई नहीं आया. फिर मैंने ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा और खुद ही गेट खोलकर अंदर चला गया.
अंदर देखा तो भाभी की हालत काफी खराब थी. उसके बच्चे सो चुके थे लेकिन वो जाग रही थी. फिर मैंने उसको नमक और चीना घोल बना कर दिया तो उसको थोड़ी राहत महसूस हुई.
उसके बाद मैंने भाभी के लिए चाय बनायी; तब जाकर उनको कुछ आराम पड़ा.
चाय पीने के बाद हम दोनों उनके बेड पर ही बैठे थे. उसने मेरे हाथ से कप को लिया और अपना कप भी एक तरफ रख दिया.
फिर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसको अपने हाथ में लेते हुए मुझे धन्यवाद कहा.
ऐसा कहते हुए मैंने भाभी के हाथ के ऊपर अपना दूसरा हाथ रख लिया.
मैं बोला- अरे भाभी, इसमें धन्यवाद की क्या बात है, ये तो इन्सानियत के नाते मेरा फर्ज भी था.
उसके बाद मैं उसके हाथ को पकड़े ही रहा.
उसने भी मेरे हाथ को छुड़ाने की कोशिश नहीं की.
हम दोनों बातें करते रहे और मैं उसके हाथ को सहलाता रहा. फिर मैंने उसकी जांघों पर भी हाथ रख दिया तो वो कुछ नहीं बोली बल्कि अब मुस्कराते हुए बात करने लगी.
वो भी मेरी मंशा जानती थी और मैं भी उनका मन पढ़ चुका था.
मैंने भाभी के हाथ को पकड़ कर अपनी जांघ पर रखवा दिया. उसने मेरी पैंट की ओर देखा और चेन को देखने लगी.
मेरा लंड अब तक खड़ा हो चुका था. वो फिर मेरी ओर देखकर मुस्करायी और उसका हाथ सीधे ही मेरे लंड पर आ टिका.
जैसे ही उसने हाथ रखा मेरी तो आह्ह निकल गयी.
उसके कोमल हाथ का स्पर्श पाकर मेरा लंड पैंट में से जोर जोर के झटके देने लगा.
फिर हमारे होंठ मिलते हुए देर न लगी. हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये और होंठों को चूसने लगे.
जीवन में पहली बार किसी स्त्री का साथ (स्पर्श) पाकर मेरे पूरे बदन में मानो आग सी लग गई थी. किस करते करते मेरे हाथ कब उनकी चूचियों पर चले गए पता ही नहीं चला।
उसकी मुलायम और रूई जैसी नर्म चूचियों को मैं जोर जोर से कपड़ों के ऊपर से ही भींचने लगा.
उसने एक मैक्सी पहनी हुई थी और अंदर ब्रा भी नहीं थी.
भाभी के बूब्स का स्पर्श मुझे पागल किये जा रहा था.
मैं चूचियों को जोर जोर से भींचने लगा तो भाभी सिसकर उठी- आह्ह … धीरे से … इतनी जोर से मत दबाओ.
मैं फिर आराम से उनके चूचों से खेलता रहा. वो अपनी जीभ को मेरे मुंह में ऐसे घुसा घुसा कर किस कर रही थी मानो वो कई दिन से इस रात का इन्तज़ार कर रही हो।
हम दोनों किस करते करते कब दूसरे रूम तक पहुंच गए पता ही नहीं चला. वहीं बगल में दोनों बच्चे सोए हुए थे, उसी कमरे में हम भी थे.
अब सारी शर्म उतर चुकी थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाने के लिए बेताब थे.
भाभी ने मुझे बेड पर लिटा लिया और मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगी.
मैं भी भाभी की पीठ को मैक्सी के ऊपर ही सहलाने लगा. वो मुझे किस किये जा रही थी और मेरे हाथ उनके पूरे शरीर पर घूम रहे थे.
पहली बार का वो आनंद अलग ही होता है. फिर भाभी ने मेरी पैंट उतार दी और मेरी जांघों के बीच में आकर मेरे लंड को मुंह में भरकर मस्ती में चूसने लगी.
भाभी के मुंह के द्वारा चुसाई करने में गजब का मजा आ रहा था.
पूरे जोश में वो अपनी गर्दन को ऊपर नीचे कर रही थी.
फिर कुछ देर चूसने के बाद वो उठी और उसने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके.
अब वो भी पूरी नंगी थी.
मैंने उसे नीचे पटका और उसकी चूचियों पर टूट पड़ा. उसकी चूचियों को मुंह में भरकर पीने लगा; जोर जोर से दबाते हुए उनका दूध निचोड़ने लगा.
वो जोर जोर से आहें भरने लगी- आह्ह … अम्म … ऊम्म … ओहोह् … आह्ह .. आई … उफ्फ …. करते हुए वो अपनी वासना को दर्शा रही थी.
फिर मैं चूमता हुआ उसकी चूत तक पहुंचा और उसकी चूत में पहले उंगली से चोदा और फिर जीभ अंदर दे दी.
जीभ अंदर जाते ही वो झटके उठी और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया. वो मेरे सिर को चूत पर पटकने लगी. मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई को नाप रही थी.
फिर उसने सिसकारते हुए कहा- चोद दो अब … अब क्या रह गया है … मेरी जान निकलने वाली है. मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं.
मैंने उसकी चूत को तेजी के साथ जीभ से चोदना शुरू कर दिया.
वो पागल हो गयी और मुझे नोंचने लगी.
अब मेरे पास कोई रास्ता नहीं था. मैंने अपना लंड तैयार कर लिया. इससे पहले कि मैं आगे बढ़ता वो उठी और मेरे लंड पर अपना थूक भी लगा लिया.
फिर उसने मुझे नीचे गिरा लिया और अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका दिया.
वो लंड पर बैठ गई और उसने मेरे लंड को अंदर ले लिया. फिर अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदने लगी.
वो तो किसी पोर्न स्टार की तरह चुद रही थी, झटके पर झटके लगा रही थी.
मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अंदर तक जा रहा था. लंड को और अंदर तक ले जाने के लिए वो अपनी गांड को गोल गोल घुमाते हुए लंड को रास्ता दे रही थी.
मैं उसकी चूचियों को दबाने में लगा हुआ था. चूचियों के निप्पल एकदम तनकर मटर के दाने जैसे हो चुके थे. उसको लंड से चुदकर बहुत अधिक उत्तेजना हो रही थी.
भाभी अब चरम सुख को प्राप्त कर रही थी. वो दस मिनट तक इसी तरह मेरे लंड की सवारी करती रही.
फिर मैंने उसको उठाया और घोड़ी बना लिया; उसकी चूत में पीछे से लंड डाला और उसकी कमर को पकड़ कर चोदने लगा.
अगले पांच मिनट तक मैंने उसको इसी पोजीशन में चोदा.
वो सिसकारती रही- आह्ह … हा … हां … ओह्ह … जोर से … चोदो … घुसा दो … ओह्ह … चोदते रहो.
20 मिनट की चूदाई के बाद भाभी और मैं फिर एक साथ झड़ गए।
हम दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे, दोनों के बदन पसीना पसीना हो रहे थे.
काफी देर के बाद हम नॉर्मल हुए.
उस रात मैंने पूरी रात भाभी की चुदाई की. उसकी चूत की खुजली पूरी तरह से मिटा दी और उसकी चूत सूजकर लाल हो गयी.
अगले दिन फिर मैं अपने घर चला गया.
उसके बाद मैंने भाभी की चुदाई कई बार की. वो भी हमेशा मौका देखती रहती थी. ये मेरी लाईफ का पहली चुदाई का अनुभव था. दोस्तो, पहली चुदाई का अनुभव बहुत निराला होता है.