भाभी की चूत चोद कर हुआ हवस का आग ठंडा
भाभी की चूत चोद कर हुआ हवस का आग ठंडा
हैल्लो दोस्तो मेरा नाम भावेश है और में इंदौर के पास एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 26 वर्ष है और कद 6 फ़ीट ओर लण्ड साढ़े 7 इंच का लंबा तगड़ा फौलाद है। आज मै आपसे अपनी एक सच्ची घटना साझा करने जा रहा हूँ कि कैसे मैने अपनी गोरी चिकनी भाभी की चुदाई का आंनद लिया और लेता आ रहा हूँ।
मेरे घर में 5 सदस्य हैं जिनमें मेरे बुढ़े माता पिता, बड़े भईया ओर भाभी है।
मेरी भाभी का नाम शीतल है और उनकी उम्र 35 साल है। दिखने में गोरी चिट्ठी, क़ातिलाना शक़्ल ओर बेहद चिकनी कमर वाली हुस्न की परी है। उनकी मोटी तगड़ी गांड का आकार देखकर कोई भी मर्द खड़े खड़े अपनी पेंट गीली कर दे। भाभी के टाइट तरबूज का स्वाद मै हमेशा से चकना चाहता था और वह मौका एक दिन मिल ही गया। तो चलिए दोस्तो बिना वक्त जाया किए मै चुदाई के रहस्य से पर्दा उठाता हूँ।
घर की हालत कुछ खास न होने के कारण बड़े भईया शहर में नौकरी करते हैं और ज्यादातर समय बाहर ही रहते हैं।
बचपन से में पोर्न और सेक्स की कहानियां पड़ता आ रहा हु जिससे कि मेरे अंदर की हवस बढ़ चुकी है और मेरी भाभी को देखकर मेरी हवस बेक़ाबू हो जाती हैं और में बाथरूम में जाकर उस आग को शांत कर देता हूँ।
गर्मियों के वक्त हम सब छत पर ही सोते हैं, बाउजी ओर अम्मा छत के एक कोने पर भाभी से अलग सोते है ताकि भाभी को आराम से नींद आये और मै भाभी के बगल में ही सोता हू क्योकि छत पर ज्यादा तर खेत का सामान पडा रहने के कारण जगह नही बचती। मैं कई बार रात को जब भाभी गहरी नींद में होती है तब धीरे से कभी अपना हाथ उनके बोबो पर रख देता हूं या कभी उनसे चिपकर सोते हुए अपना हाथ भाभी की मोटी झंगो पर रख देता हूं पर भाभी की जब नींद खुलती तो वे मेरा हाथ हटा देती है बिना कुछ बोले ओर फिर से सो जाती है। बस इससे ज्यादा मैं कुछ कर नही पा रहा था और सारा दिन मेरे मन में भाभी को पेलने के अलग अलग विचार आते रहते और बस में हाथ से काम चला रहा था पर कुछ करने का मौका मिल नही रहा था।
पर कहते हैं ना जब आप कुछ ठान लेते है तब रास्ते अपने आप खुलते हैं। बस एक दिन वह मौका आ ही गया।
एक दिन भाभी मेरे कमरे में आकर बोली के भावेश देखो ना यह फ़ोन में नेट सही से चल नही रहा। भाभी टाइट सलवार में क्या माल लग रही थी मन कर रहा था कि अभी लपेट लू , इतने में भाभी ने कहा मुझे मत देखो भावेश मेरा फ़ोन देखो। भाभी बिककुल मुझसे चिपकर खड़ी थी और अपने फोन को देख रही थी। में उनके सामने फ़ोन में सब कुछ चेक कर रहा था इतने में मैने देखा कि भाभी के फोन में सेक्स वीडियोस डाऊनलोड कर रखी थी,यह देखकर मैं दंग रह गया और भाभी की ओर एक शरारती हसी से देखा। भाभी मुझे देखकर शर्मा गयी और फ़ोन छीनकर बाहर जाने लगी और बोली बाद में ठीक कर लेना मुझे काम है और चली गयी।
अब मै समझ गया था कि भईया के दूर रहने के कारण भाभी के अंदर भी हवस उफान पर है और मौके पर चौका मार लेना चाहिए। और मैने मन ही मन थान लिया कि आज रात को भाभी को पेल ही लूंगा।
भाभी जब शाम की चाय बना रही थी तब फिरसे मेने खुराफात करने की सोची ओर ओर रसोई में एक शैतानी हसी लिए मेने भाभी से पूछा कि भाभी आपके फ़ोन में ये चीज़े?? तो नज़रे छुपाती भाभी धिरे से बोली के भईया तो है नही बस यही सहारा है तो मैने भी बिना शर्म के जवाब दिया कि मै हूंना। मेरे जवाब से भाभी एकाएक सन्न सी हो गई और बात को काटते हुए बोली हटो चाय ठंडी हो रही है, अम्मा बाउजी को दे आओ। मै भाभी के इस उत्तर को एक छोटा सा इशारा समझ चूका था,बस रात का इंतजार था।
अम्मा बाउजी जल्दी छत पर सो चुके थे और मैने भी रोज की तरह अपना बिस्तर भाभी के बगल में लगा लिया, भाभी मेरी तरफ अपनी पीठ करकर सो रही थी। मैने भाभी को फिरसे पूछा कि भाभी आपका फ़ोन ठीक कर देता हूं, पर भाभी ने जवाब नही दिया शायद गहरी नींद में थी तो मेने अपना हाथ भाभी की कमर पर रख दिया और भाभी की गांड से अपना लण्ड सटा कर औऱ नज़दीक आ गया ओर भाभी से धीरे से कहा कि भाभी आपको बोहोत समय से पेलने की इच्छा है पर कभी मौका नही मिला आपकी गांड बोहोत रसीली है।
भाभी को नींद में देखकर मेने भाभी की लाल टाइट सलवार को थोड़ा नीचे किया और देखा कि भाभी ने पेंटी नही पहन रखी है। भाभी की गोरी गट चिकनी गांड पर में हाथ धीरे धीरे सहला रहा था। अब मेने अपनी दोनों उंगलियों पर थूक लेकर भाभी की चूत पर धीमे धीमे सहला रहा था। भाभी की चूत एक दम क्लीन शेव औऱ नाजुक मुलायम सी थी। मैने एक बार फिर थूक से भीगी उंगीयो के बीच मे भाभी की चूत को पकड़ा और धिरे से अपनी उंगली भाभी की चूत में कर दी, ऐसा कई बार करने के बाद मैने आने फौलाद को चड्डी से बाहर निकाला और भाभी की चूत पर हल्के से रख दिया।
भाभी की गीली चूत से मेरे फौलाद का टोपा भीग चुका था, मैंने बिना ज्यादा समय लिए भाभी की चूत में अपने लण्ड का टोपा गुसा दिया। जैसे ही मेरा लण्ड भाभी की चूत में जाने लगा भाभी सिसकिया लेने लगी ‘सससस, उफ्फ’। भाभी की सांसें बढ़ गयी और तेज़ धड़कन को मै महसूस कर पा रहा था। भाभी नींद में नहीं थी, सब सुन रही थी बस सोने का नाटक कर रही थी।
मै घबरा गया और अपना लण्ड भाभी की चूत से बाहर निकाल कर भाभी से कहा “भाभी आप जग रही थी?”
भाभी ने बिना कोई उत्तर दिए अपनी मोटी गोल चिकनी गांड मेरे झांगो से बीच में चिपका दी ओर मेरा लण्ड अपने हाथों से अपनी चूत में डालती हुई बोली “रुक क्यो गए जल्दी करो”।
मुझे हरि झंडी मिल चुकी थी, मेने फिर से भाभी के पेट पर अपना हाथ रखा और अपना फौलाद को फिर से धीरे धीरे भाभी की चूत की गहराईयों में उतारने लगा।
हर एक इंच के अंदर जाने पर भाभी पहले से तेज़ सिसकियां ले रही थी। अब मेने एक जोर का ध्क्का मारकर अपना पूरा साढ़े 7 इंच का लण्ड भाभी की चूत में उतार दिया ओर भाभी धिरे से चीखी ” अरे मोरी मइया,उफ्फ्फ, आह”। में अब तेज़ी से भाभी की चूत में धक्के दे रहा था और भाभी तेज़ी से सिसकियां ले रही थी, अम्मा बाउजी रात में बहुत गहरी नींद में थे।
हम दोनों लेटे हुए थे, मै भाभी को बिना रुके पेल रहा था और कस कर भाभी की ब्रा में हाथ डालकर बोबो को दबा रहा था। मै भाभी की गर्दन को चूमते हुए भाभी की चूत में जोर जोर से धक्के दे रहा था और भाभी भी साथ दे रही थी। भाभी की चूत से निकलते पानी से मेरी झांगे तक गीली हो गयी थी पर मै बेक़ाबू हो चूका था। थोड़ी देर बाद मैने अपना रस भाभी की चूत में ही खाली कर दिया ओर धीरे धीरे धक्के देता रहा।
अब मै ओर भाभी दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे के पास में लेटे हुए थे, भाभी मेरे तरफ बढ़ी और मेरे कान के पास आकर धीमी आवाज़ में मुस्कराते हुए बोली ” भावेश तूने तो मेरी सालो की प्यास बुझा दी, तू तो छुपा रुस्तम निकला” और मेरे गालो पर चुम कर मुसकराने लगी। मैने भी भाभी को चूमते हुए कहा “भाभी अब यह प्यास में रोज़ बुझाया करूँगा” । हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को देखते रहे और न जाने कब सुबह हुई पता ही नही चला।
शीतल भाभी को चोदना अब भी मुझे सपने जैसा लग रहा था, मेरा मन कर रहा था कि भाभी से अलग ही न हु बस उनके गोरे बदन से लिपटा रहू ओर दिन रात चुदाई मचाता रहूं।
आज भाभी पहले से बहुत ज्यादा खुश और खिली खिली लग रही थी। सुबह सुबह भाभी को चाय बनाते देख मैने भाभी को पीछे से कस कर पकड़ लिया और उनकी गांड पर अपना लोडा रगड़ने लगा। भाभी की गर्दन को चूमते हुए कहा”क्यों भाभी रात को मज़ा आया,आप बोहोत सेक्सी हो, उममममम” ।
भाभी- “हटो भावेश बाद में, कोई देख लेगा, हटो”।
हमारा घर काफी छोटा होने के कारण भाभी को अम्मा बाउजी के होते चोदना खतरे से खाली नही था इसलिए में बस रात के भरोसे ही दिन काट रहा था। मैं भाभी को ठीक से चोदना चाहता था, उनके जिस्म के हर एक हिस्से हो नापना चाहता था पर कैसे करता, इसी सोच में बेचैन था।
लेकिन मेरी किस्मत ने मेरा साथ फिरसे दिया और सुबह सुबह मेरे चाचा घर आये। चाचा ने आकर अम्मा बाउजी को एक हफ़्ते की तीर्थ यात्रा पर चलने की तैयारी करने को कहा। चाचा चाय पीते हुए बोले “भावेश तू जल्दी से अम्मा बाउजी का सामान बांधकर तैयारी कर दे, बड़ी मुशकिल से कल सुबह ट्रैन की टिकिट मिली है, देरी मत करना”।
चाचा की यह बात सुनकर में खुशी से झूम उठा, मेरे मन मे बस भाभी को पेलने के ख्याल ही घूम रहे थे, मै भाभी को अच्छे से पेलने के लिए उतावला हो रहा था, मन मे लड्डू फुट रहे थे। मैने भाभी की और हवस वाली शैतानी नज़र से देखा और मुसकराने लगा, भाभी भी मुझे ही देख रही थी और मन्द मन्द मुस्कराह रही थी।
चाचा अपनी चाय खत्म कर के जल्दी में चल दिए। पूरा दिन अम्मा बाउजी के लिए तैयारी करते करते में ओर भाभी थक चुके थे और रात को बिना कुछ किए सो गए। मै अगली सुबह अम्मा बाउजी को चाचा के साथ ट्रैन में बैठा कर घर लौट आया।
मेरे अंदर हवस की सुनामी उफान पर थी। मै घर लौटकर सीधा भाभी के कमरे में गया। शीतल भाभी लाल रेशम की साड़ी में पूरी तरह सज संवर कर बैठी आईने के सामने अपने खुले बालो को संवार रही थी। मै भाभी के इस क़ातिलाना अवतार को देखकर एकाएक स्तम्ब रह गया,मेरे मुंह से मानो लार टपक रही थी। भाभी के डीप ब्लाऊज से दोनों बूब्स आपस में मानो बाहर आने को उतारू थे। मुझे भाभी के साथ सुहागरात वाली फीलिंग आने लगी।
मैने भाभी को चिकनी कमर से पकड़कर अपनी और खींचा, भाभी के तरबूज मेरी छाती से पूरी तरह दब चुके थे, भाभी ओर मेरे होंठो के बीच नाममात्र दूरी थी, मै भाभी की सांसो को महसूस कर पा रहा था, मेरा लोडा टावर कि तरह तन्न चुका था मानो बस पेंट फाड़कर बाहर आने को बेताब था।
मेने भाभी से कहा ” शीतल मेरी जान, आज तुझे चोद चोदकर पागल कर दूंगा”
मेने भाभी के लाल गुलाबी होंटो पर अपने होठ रखते एक कस कर चुम्बन लिया। मेने अपनी जीभ को पूरा भाभी के मुह में डालते हुए उनकी जीभ पर फेरा। मै भाभी को बुरी तरह चुम रहा था और भाभी भी पूरा साथ दे रही थी। भाभी के होठों को मै चूमता गया कभी गर्दन पर चुंबन ले रहा था तो कभी भाभी की जीभ को खा जाने वाला था हम दोनों चुम्बन में मदहोश थे, एक दूसरे से कस कर लिपटे हुए काफी देर तक चुबंन का मज़ा मै लूटता रहा।
अब मैने भाभी को अपनी बाहों में उठाकर बेड पर लेटाया। भाभी का पेटीकोट मैने घुटनो तक उठा दिया और भाभी की गोरी पिंडलियों को चूमने लगा।
अब मै थोड़ा और ऊपर बड़ा और भाभी के पेटीकोट में अपना सर डालकर भाभी की गोरी गोरी झांगो को चूमने लगा। चूमते चूमते मेने भाभी का पेटीकोट उतार कर दिया।भाभी की गोरी लाल चूत को देखकर मेरे मुंह में लार भर आयी। मैने लपकते हुए भाभी की चूत पर अपनी जीभ फेरकर लाल चूत को चाटने लगा। भाभी को चूत में पूरी जीभ डालकर में किसी प्यासे की तरह चूत चाट रहा था, इस बार भाभी जोर जोर से सिसकियां ले रही थीं। मै ओर उत्तेजना से भाभी की चूत चाट रहा था, भाभी ने मेरे बालो को खीचते हुए अपनी दोनों गोरी झांगो की बीच मे मेरा सर दबाया ओर अपने दोनों पैर मेरे कंधो पर रखकर “उफ्फ उम्म भावेश ओह्ह,और तेज और तेज़” कहती हुई चूत चटवा रही थी। भाभी के चूत के रस से मेरी हवस की प्यास और उत्तेजित हो रही थी। अब मैने भाभी को उल्टा लेटाकर भाभी की मोटी गांड के बीचों बीच अपना मुँह दे मारा। भाभी की गांड चाटने को मै दोस्तो किसी शब्दो मे बयां नही कर सकता। भाभी की गांड को मानो दोस्तो में खा जाऊ।
अब मेने दोस्तो भाभी की कमर को चूमते हुए भाभी का ब्लाऊज उतारा और बिना वक्त गवाएं भाभी के ब्रा का हूक खोलकर दोनों कैदी बोबो को रिहा करवाया। भाभी के गोरे गोल रसीले तरबूज़ जैसे बोबो को देख में झूम उठा। गोरे बोबो पर काले निप्पल “उफ्फ्फ ससससससस’। शितल भाभी वाक़ई हूर की परी है।
एक एक कर दोनों काले निप्पल समेत मैं भाभी के तरबूज को पूरा मुँह में डाल चूस रहा था, कभी दाई वाला बूब कभी बायीं वाला बूब कभी दोनों को कसकर दबाते हुए दोनों एक साथ चूस रहा था। दोनों रसीले बूब दूध से भरे हुए थे, में इस दूध को मुँह में भरकर मन्त्रमुक्त हो चुका था। मैंने भाभी की जिस्म के हर एक अंग को चूमा, चूमता गया।
शीतल भाभी का नंगा जिस्म मैं अपने होठों से भीगा चुका था। भीगी हुई भाभी बेड पर पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। दोस्तो मैने पहली बार किसी औरत को नंगी देखा था और वह नंगी औरत मेरी शीतल भाभी थी, गोरी चिठ्ठी, लाल चूत और काले निप्पल वाली हवसी भाभी। मेरा लण्ड बुरी तरह से तन्न चुका था मानो पेंट से बाहर आने को तड़प रहा हो।
भाभी उठकर अपने घुटनों पर बैठते हुए । मेरे पेंट को खोलने लगी। मैने भी साथ देते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए केवल अंडरवियर में खड़ा था। भाभी ने जैसे ही मेरी अंडरवेयर उतारकर निचे की, मेरा फौलादी लण्ड कूद कर बाहर आ निकला। तीर की तरह सीधा, आसमां को सलामी देता हुआ मेरा साढ़े 8 इंच का मोटा तगड़ा लम्बा काला लण्ड भाभी के मुँह के सामने था।
भाभी की आँखे फ़टी की फ़टी रह गयी और मेरा लण्ड सहलाते हुए बोली “इतना लंबा लण्ड , तुमहारे भईया का तो कुछ नही इसके सामने” और मेरी तरफ देखकर हँसने लगी।
भाभी ने मेरे लण्ड को कस कर पकड़ा और धीरे से सामने की चमड़ी को पीछे करते हुए मेरे गुलाबी टोपे को बाहर निकाला। भाभी अपने दोनों होठो से मेरा गुलाबी टोपा चूस रही थी। मेरे लण्ड के टोपे को होंठो में जकड़कर जो भाभी ने अपनी जीभ घुमाई है “उफ़्फ़फ़, शीतल मेरी जान” ।
मैने भाभी के बालों को पकड़कर अपना लण्ड भाभी के मुँह में डालने के लिए आगे किया तो मेरा साढ़े 8 इंच का चॉकलेटी लोडा भाभी के मुँह से फिसलता हुआ गले तक जा उतरा। शीतल भाभी की आँखे बाहर आ गयी पर भाभी रुकी नही बल्कि आँखे बंद कर लण्ड तेज़ी से चूस रही थीं। शीतल भाभी लण्ड चूसने में किसी पोर्नस्टार से कम नही लग रही थी। भाभी ने मेरा पूरा लण्ड मेरे दोनों गोटो समेत मुँह में भर लिया और सब कुछ गिला कर दिया। भाभी ने एक क्षण के लिए भी मेरे लण्ड से अपना मुँह अलग नहीं किया मानो सदियों से लण्ड की प्यासी हो ।
भाभी के मुलायम होठ ओर गीली जीभ मेरे लण्ड पर जादू कर चुके थे और देखते ही देखते मैने अपना पुरा मुठ ,अपने पुरे वीर्य रस से भाभी का मुँह भर दिया भाभी अभी भी मेरा लण्ड हर तरफ से चूस रही थी मानो एक बूंद मुठ भी व्यर्थ ना चली जाए।
मै अब भी उतना ही जोश में था। मैने नंगी भाभी को एक बार फिर उठा कर बेड पर लेटा दिया। अपने लण्ड पर थूक लगाकर मै अपने औज़ार की धार तेज़ करने लगा।
भाभी की गोरी टांगो को मैने चौड़ी कर भाभी की चूत पर अपना थूक लगाया। फिर अपने लण्ड को भाभी की चूत पर रखकर एक धीरे से ध्क्का दिया। मेरा लण्ड अभी आधा भी अंदर नही गया था कि भाभी सिसकिया लेने लगी ” ओह्ह भावेश उफ़्फ़फ़ मैईया ससससस ,और अंदर भावेश उफ़्फ़फ़” ।
भाभी की सिसकियों में अलग ही नशा था, मै जोश में आ गया और भाभी की चूत में एक जोर का धक्का दिया और भाभी चीख़ उठी ” आआहहहहहहह ससस मार ही डालेगा भावेश उफ़्फ़फ़ ओह्ह ओह्ह और तेज़ आआआहहहह”।
मै शीतल भाभी को चूमते हुए बुरी तरह चोद रहा था। मेरा लण्ड भाभी की चूत में जोर जोर से धक्के मार रहा था ” पच्च पच्च पच्च” ओर भाभी भी बिना किसी शर्म ओर प्रवाह के चिल्ला रही थी “भावेश उफ्फ आह और अंदर और आहहहह ससस भावेश और तेज़” मै भाभी को लबालब चोद रहा था।
कभी भाभी को घोड़ी बनाकर चोदने लगा तो कभी भाभी को उल्टा लेटाकर पेलने लगा, कभी भाभी मुझपर तो कभी मै भाभी पर “आह भाभी आह एसस एसस उफ़्फ़फ़ शीतल मेरी रांड, उम्मम हह हह ऊऊएह” ।
भाभी के जिस्म का एक एक कोना मै नाप चुका था पर मै फिर भी रुका नही में चोदते रहा बिना रुके।
भाभी की मोटी गोरी गोल गोल चिकनी गांड मे मैने जोर जोर से धक्के दिए, भाभी को चोद चोद कर भाभी की गांड चौड़ी कर दी।
मै और भाभी चुदाई में पूरी तरह मस्त थे, पूरा कमरा हम दोनों ही चीख़ से गूँज रहा था पर हम बेपरवाह चुदाई मचा रहे थे।
मैने अपना पूरा रस भाभी की चूत में खाली कर दिया ओर अब भी लण्ड के धक्के भाभी की चूत में देता गया।
मै और भाभी पूरी तरह थक चुके थे और चुदाई करते करते रात कब हुई पता ही नही चला।
पसीने से लथपथ भाभी और मै एक दूसरे से अब भी लिपटे हुए थे। भाभी बोली ” भावेश ऐसी चुदाई तेरे भईया ने आज तक नहीं कि, तेरा लण्ड लण्ड नहीं फौलाद है, आज में सालो बाद संतुष्ट हुई हु” और यह कहने के बाद मै ओर भाभी दोनों एक साथ नहाने चले गए।
उस दिन के बाद दोस्तो शीतल भाभी और मैं लगभग रोज़ चुदाई करते हैं। जब कोई घर पर नही होता तो रसाई, बाथरूम कही भी चालू हो जाते हैं और जब कभी मौका नही मिलता तो रात को भाभी को चोदता हु।
दोस्तो भाभियों को चोदने में अलग ही मज़ा है।