Lesbian Hindi Sex Story
एक दिन सुबह करीब साढ़े दस बजे मैं कारखाने में अपने कैबिन में बैठकर अपना काम कर रही थी कि तभी मुझे एक अंजान नम्बर से कॉल आया।
मैंने फोन उठाया और हैलो कहा।
सामने से एक महिला बोली- हैलो! क्या मैं लता जी से बात कर रही हूँ?
मैंने कहा- हां, मैं लता! आप कौन?
उसने कहा- मेरा नाम प्रिया है। मैं गारमेन्ट किंग हरीश जी की सेक्रेटरी हूँ। हमें आपका नम्बर आपके बॉस रमेश जी से मिला।
मैं बोली- जी कहिए, मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ?
उसने कहा- मैं आपको यह कहना चाहती हूँ कि मेरे सर काफी शौकिन मिज़ाज के हैं। वे लगभग हर रोज़ किसी नई औरत को चखते हैं। और इसके लिए वो कोई भी कीमत देने को तैयार रहते है। रमेश जी ने ही मेरे सर को आपके बारे में बताया, उन्होंने आपकी बहुत तारीफ की जिसके बाद मेरे सर आपके साथ एक बार मुलाकात करना चाहते हैं। रमेश जी ने उन्हें आपकी नंगी फोटो भी दिखा दी है जिसके बाद वो और भी ज्यादा उतावले हो रहे हैं।
उसने आगे कहा- आपको जितना पैसा चाहिए, वो आपको दे दिए जाएंगे। पैसे जो आप चाहें … और शौक जो हम चाहें!
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन किस समय आना होगा?
उसने कहा- समय आप ही तय कर लीजिए लेकिन आना आज ही होगा।
मैंने कहा- ठीक है, मैं दो घंटे बाद आ जाऊंगी।
उसने कहा- ठीक है, हम आपके लिए कार भिजवा देंगे।
मैंने ‘ठीक है’ कहकर फोन रख दिया।
फिर मैंने जल्दी-जल्दी अपना सारा काम निपटाया।
उतने में ही 2 घंटे कब बीत गए, पता ही नहीं चला।
जैसा कि प्रिया ने कह दिया था, एक कार मुझे लेने आ गई और मैं उसमें बैठ गई, अपनी मंज़िल पर पहुँचकर चुदवाने के लिए।
कार में बैठे-बैठे ही मैंने थोड़ा-सा मेकअप किया। अपनी ब्लाउज़ को थोड़ा ज्यादा नीचे खिसका दिया जिससे मेरी चूचियों की घाटी साफ़ दिख सके। साड़ी को भी थोड़ा ज्यादा नीचे खिसका दिया जिससे मेरी कमर और नाभि, दोनों साफ़-साफ़ दिखने लगे।
करीब 20 मिनट के अंदर ही मेरी मंज़िल आ गई। कार एक बहुत ही शानदार बंगले पर जाकर रुकी। वैसा बंगला मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देख रखा था।
मैं कार से उतरी तो सामने एक जवान-खूबसूरत लड़की खड़ी थी।
उसने हाथ आगे बढ़ाया और कहा- हाय! मैं प्रिया।
मैंने उससे हाथ मिलाया और ‘हाय’ कहा।
प्रिया को देख मैं तो अवाक रह गई।
वो बहुत ही सुंदर और आकर्षक थी। उसके बारे मैं अब और क्या बताऊं … उसका फिगर यही कोई 32-30-34 का रहा होगा।
तब उसने एक सफेद शर्ट और एक काली शार्ट स्कर्ट पहनी हुई थी जैसा अमूमन महिला सेक्रेटरी पहनती है।
वो मुझे बंगले के अंदर ले गई।
अंदर जाकर हम दोनों सोफे पर अगल बगल बैठ गयी।
अब मैं आप लोगों को हम दोनों की बातें बताकर बोर नहीं करुँगी।
हां, ये जरूर बताना चाहूँगी कि मैंने कभी ये सोचा भी नहीं था कि कोई एक महिला मुझे उस मर्द के बारे में बताएगी जिसके साथ मैं कुछ ही देर में शारीरिक संबंध बनाने वाली हूँ।
प्रिया ने मुझे हरीश जी के बारे में काफी सारी बातें बताई, मैंने भी उसकी बातों को ग़ौर से सुना।
उसने मुझे बताया कि हरीश जी को किस तरह की औरत व लड़कियाँ पसंद है, वो किस तरह से चुदाई करते हैं और चुदने वाली से किस तरह की आशा रखते हैं।
प्रिया ने ये सब बातें बता दी और मुझसे कहा कि मैं शुरुआत से ही उनसे खुलकर फोरप्ले करूँ और करने दूँ। इससे वो ज्यादा खुश होंगे।
हरीश जी के बारे में मैंने कुछ सवाल भी किए जिसका जवाब उसने सटीक और यहां तक की गंदी भाषा का प्रयोग करते हुए दिया।
इस पूरी बातचीत से मैं ये तो समझ गई कि प्रिया भी हरीश जी से चुदवाती है, नहीं तो ये सारी बातें उसे पता नहीं होती।
हमारी बातचीत पूरी हुई तो उसने मुझसे पूछा- क्या अब तुम तैयार हो?
मैंने ‘हां’ में जवाब दे दिया।
फिर उसने मुझसे कहा- ठीक है, तो चलो अब अपने कपड़े उतारो।
मैंने चौंकते हुए पूछा- क्या?
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
वो खड़ी हुई और अपनी शर्ट के बटन खोलने लगी। सारे बटन खोलने के बाद उसने शर्ट उतार फेंका।
अंदर उसने ब्रा नहीं पहना था तो शर्ट के उतरते ही वो उपर से पूरी नंगी हो गई।
फिर उसने अपना स्कर्ट भी उतार फेंका।
उसकी चूत को एक सफेद रंग की थोंग-पेंटी ने ढक रखा था जो कि बहुत ही सुंदर व आकर्षक लग रही थी।
बिना कपड़ों के वो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
घर के उजाले में उसका गोरा बदन चमक रहा था; ऐसा लग रहा था मानो काम की देवी खड़ी है।
उसने कहा- चलो, तुम क्या सोच रही हो? हरीश जी काफी उत्साहित हैं, उन्हें ज्यादा इंतज़ार कराना ठीक नहीं।
और उसने मेरी ओर अपना हाथ बढ़ाया।
मैं उसका हाथ पकड़ कर खड़ी हो गई। उसने मेरी साड़ी का पल्लू हटाया और मेरी साड़ी उतारने लगी।
फिर उसने मेरी पेटीकोट और ब्लाउज़ उतार दिए।
इत्तेफ़ाक से मैंने भी अंदर सफेद पैंटी पहनी थी और ब्रा हल्के नीले रंग की थी। मेरी चूचियां ब्रा से बाहर आने को उतावली थी।
फिर प्रिया मेरे करीब आई और मेरी कमर को सहलाने लगी।
कुछ देर सहलाने के बाद उसने अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया।
उसने मेरी ब्रा को मेरे ज़िस्म पर से उतार फेंका।
अब मैं और प्रिया, दोनों ऊपर से नंगी थी। मेरी चूचियाँ प्रिया से बड़ी थी।
मर्दों की ही तरह, प्रिया की नज़रें भी मेरी चूचियों पर अटकी रह गई।
वो एकटक मेरी गोल-गोल 34″ की चूचियों को देखे जा रही थी।
उसने मेरी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और फिर धीरे-धीरे उन्हें प्यार से सहलाने लगी।
मेरी चूचियों को सहलाते हुए उसने कहा- तुम्हारी चूचियाँ काफी बड़े और खूबसूरत हैं। हरीश जी तो इन्हें देख पागल हो जाएंगे।
फिर वो मेरे और करीब आई और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो अपने हाथ मेरे पीछे ले गई औऱ किस करते हुए पहले मेरी कमर को सहलाती रही और उसके बाद उसने मेरे चूतड़ दबाना शुरु कर दिया।
वो मुझे करीब दो मिनट तक किस करती रही।
किस खत्म करने के बाद उसने फिर एक बार मेरी चूचियों को दबोच लिया और अबकी बार उसने मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरु कर दिया।
कुछ देर तक मेरी चूचियों को दबाने के बाद उसने मेरी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया। मेरी एक चूची को दबाते हुए उसने मेरी दूसरी चूची को मुँह में भरकर चूसना और चाटना चालू कर दिया उसने।
कुछ देर तक मेरी एक चूची को चूस और चाट लेने के बाद उसने मेरी दूसरी चूची को भी मुँह में भर लिया और कुछ देर तक मेरी दूसरी चूची को भी खूब अच्छे से चूसा और चाटा।
जब तक प्रिया मेरी दोनों चूचियों को चूसती रही, मैं उसका भरपूर आनंद लेती रही।
प्रिया ने काफी देर तक मेरी चूचियों को प्यार किया।
मेरी चूचियों के साथ छेड़खानी कर लेने के बाद वो अपने घुटनों के बल बैठ गई। उसने मेरी पैंटी को अपने दोनों हाथों से पकड़ा औऱ खींचकर नीचे उतार डाला।
फिर मैंने अपने पैर उठाकर उसको मेरी पैंटी निकालने दी।
मैं पहली बार किसी दूसरी लड़की के सामने पूरी नंगी खड़ी थी। मेरी चूत प्रिया की आँखों के ठीक सामने थी।
मेरी पैंटी निकाल देने के बाद प्रिया मेरी चूत के और करीब हो गई। मुझे ऐसा लगा मानो वो मेरी चूत की खूशबू ले रही हो।
फिर उसने मेरी चूत पर हाथ रख उसे सहलाया, चूत के साथ थोड़ी छेड़खानी की और फिर मेरी चूत पर उसने अपना मुँह रख दिया।
अचानक से उसका मुँह मेरी चूत पर गया तो मेरे शरीर में करंट-सा दौड़ गया।
मेरी चूत पर मुँह रखकर उसने अपने होंठों से चूसना शुरु कर दिया।
उसका चूत चूसने का तरीका बहुत ही बढ़िया था। वो मेरी चूत को धकेल-धकेल कर उसे चूस रही थी।
‘आहह’ और कैसे बताऊं कि उस पल मुझे कैसा महसूस हो था, बस बहुत अच्छा लग रहा था।
प्रिया मेरी चूत को इस क़दर चूसे जा रही थी कि मेरा खड़ा रहना मुश्किल हो गया।
फिर भी मैं कुछ देर और खड़ी रही लेकिन फिर जब मुझसे बिल्कुल भी खड़ा न रहा गया तो मैं सोफे पर गिरकर बैठ गई।
मैं सोफे के किनारे, उसके हथेली के सहारे अपना पीठ टिकाकर लेट गई और तेज़ सांस लेने लगी।
फिर प्रिया उठकर मेरे पास आ गई और मेरी एक चूची को दबाकर मुझे किस करने लगी।
मैंने भी उसके किस का भरपूर मज़ा लिया।
होंठों पर किस करने के बाद वो नीचे जाते हुए मेरे स्तनों पर किस करने लगी, फिर मेरे सपाट पेट और मेरी नाभि को भी चूमने के बाद वो दोबारा मेरी चूत पर पहुँच गई।
वो फिर एक बार मेरी चूत के पास घुटने के बल बैठ गई, फिर उसने मेरी जांघों को पकड़कर फैला दिया जिससे मेरी चूत खुलकर उसके सामने आ गई।
प्रिया ने नीचे से शुरु किया, पहले उसने मेरी चिकनी जांघों को चूमा और फिर धीरे-धीरे चूमते हुए वो मेरी चूत की तरफ बढ़ती गई।
आखिर मेरी चूत पर पहुँचकर प्रिया ने मेरी चूत एक ज़ोरदार किस किया।
उसके द्वारा मेरी चूत पर किस करने की वजह से मुझे फिर एक बार एक ज़ोर का झटका लगा।
किस करने के तुरंत बाद प्रिया मेरी चूत पर अपनी जीभ चलाने लगी। ऊपर से नीचे तक उसने मेरी चूत को जीभ से चाटा जिससे मेरी चूत पर उसके लार का गीलापन मुझे महसूस होने लगा।
फिर वो अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक डालने लगी यानि कि अपनी जीभ से मेरी चूत की चुदाई करने लगी।
करीब एक-डेढ़ मिनट तक वो अपनी जीभ से मेरी चुदाई करती रही और मैं आराम से लेटी हुई, अपनी चूत पर उसके जीभ के स्पर्श को महसूस करती रही।
तभी अचानक से प्रिया ने अपनी एक उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी।
अचानक हुए इस प्रहार से मैं सकपका गई और मैं थोड़ी पीछे की ओर सरक गई।
लेकिन प्रिया ने मेरी जांघों को पकड़ मुझे रोक लिया और खुद आगे बढ़कर मेरी चूत में उंगली को आगे-पीछे करने लगी।
फिर उसने जल्दी ही अपना मुँह दोबारा मेरी चूत पर लगाकर उसे चाटना शुरु कर दिया।
कुछ ही देर में मैं सहज हो गई और मुझे अपनी चूत में उसकी चलती हुई उंगली और उसका मेरी चूत को चाटना, अच्छा लगने लगा।
फिर उसके कुछ देर बाद प्रिया ने धीरे-धीरे मेरी चूत में दूसरी उंगली डाल दी और चोदने लगी।
अब मुझे भी जोश चढ़ने लगा और मैं अपनी एक चूची को अपने हाथ में लेकर दबाने लगी और साथ ही सिसकारियाँ मेरे मुँह से निकलने लगी।
’आहह … प्रिया … आहह … आराम से करो … ओहह् … हां … मज़ा आ रहा है … आहह … ऐसे ही … हां … करती रहो …’
ऐसे सारे शब्द मेरे मुँह से निकल रहे थे।
प्रिया को तो शायद ही मेरी बातें सुनाई दे रही थी। वो तो पूरे मज़े से मेरी चूत को चाटने और उसमें उंगली करने में लगी हुई थी।
कुछ ही देर में उसने मेरी चूत में उंगली करने की रफ्तार बढ़ा दी।
अब तो उसके उंगली करने की वजह से मेरी चूची भी हिलने लगी थी।
मैं अब और ज़ोर से ‘आहह … उम्हह … ओहह … आहह … ’ करते हुए मज़े ले रही थी।
यह मेरा पहला समलैंगिक अनुभव था और मुझे तब अहसास हुआ कि एक औरत भी दूसरी औरत को संतुष्टि दे सकती है।
प्रिया करीब 5 मिनट से मेरी चूत को अपनी दो उंगलियों से कुरेद रही थी और साथ ही जीभ से चाट भी रही थी।
अब मैं बहुत ज्यादा उत्तेजक महसूस करने लगी और मुझे अहसास होने लगा कि मैं चरमोत्तकर्ष पर पहुँचने वाली हूँ।
मैं अपनी चूची को और ज्यादा ज़ोर से दबाने लगी।
साथ ही अब मैंने भी अपना हाथ मेरी चूत के ऊपरी हिस्से पर रखा और उंगलियों से उसे सहलाने लगी।
धीरे-धीरे मेरी रफ्तार बढ़ती गई और मैं ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत को मसलने लगी और अपनी चूची को दबाती रही।
नीचे प्रिया लगातार मेरी चूत में उंगली कर रही थी और जीभ चला रही थी।
कुछ ही पल बाद मैं अपनी चूतरस की धार छोड़ने के लिए तैयार थी।
मैंने अपनी चूची को पूरी ताकत के साथ दबोच लिय़ा और साथ ही चूत को भी तेज़ी के साथ मसलने लगी।
प्रिया को भी शायद पता चल गया कि मेरा अब होने वाला है; वो भी पूरी ताकत से मेरी चूत में दो उंगलियाँ अंदर-बाहर करने लगी।
करीब दस सेकेण्ड में ही मेरी चूत ने अपना रस छोड़ना चालू कर दिया।
प्रिया ने अपना जीभ चलाना रोका नहीं बल्कि वो और ज़ोर से वो मेरी चूत पर जीभ घुमा-घुमाकर चलाने लगी।
धीरे-धीरे मेरी चूत तेज़ धार छोड़ने लगी.
मैं ‘ओहह … आहह … उम्हह … आहह … ’ करती हुई झड़ने लगी।
‘ओहह प्रिया … आहह … और तेज़ … आन्हह … आहह … ओहह … हां … थोड़ा और … ओहह … आहह … बस हो गया … आहह … ’ कहते हुए मैंने अपनी पूरी चूतरस बहा दी।
प्रिया ने मेरी चूत का बहुत-सा चूतरस चाट लिया लेकिन थोड़ा बहुत रस उसने मेरी चूत पर रहने दिया और उसे चूत के आसपास लगा दिया।
उसने मेरी चूत को मेरे ही चूतरस से सराबोर कर दिया। चूत के आसपास का पूरा हिस्सा मेरी चूतरस से सना हुआ था।
फिर वो उठी और मेरी दूसरी चूची को अपने एक हाथ में भर लिया। वो झुकी और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख किस करने लगी।
मैंने भी उसका साथ देते हुए उसे किस किया और साथ ही अबकी बार मैंने भी उसकी एक चूची को अपने हाथ में लेकर दबा दिया।
किस करने के बाद प्रिया ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सोफे से उठा दिया।
फिर प्रिया मेरा हाथ पकड़े हुए मेरे आगे-आगे चलने लगी और मैं उसके पीछे!
प्रिया की सफेद थोंग पैंटी उतरी नहीं थी फिर भी थोंग होने की वजह से उसके दोनों चूतड़ बाहर थे जो चलने की वजह से दोनों ओर मटक रहे थे।
मेरी नज़र तो उसकी मटकती गांड पर ही अटक गई और मैं चलते हुए एकटक उसके गांड को निहारने लगी।
इतने ही देर मैं हम एक कमरे के पास पहुँच गए।
प्रिया ने दरवाज़ा खोला और हम दोनों अंदर गए और प्रिया ने दरवाज़ा बंद कर दिया।
मैंने देखा कि दरवाज़े की दायीं ओर एक बड़े बिस्तर पर एक हट्टा-कट्टा आदमी लेटा हुआ था। उसने सफेद गाउन डाल रखा था।
देखकर मुझे लगा कि वो कम-से-कम 40 साल का होगा ही।
मुझे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
वो लेटे हुए मोबाईल देख रहा था। हमें देखते ही उसने मोबाईल रख दिया।
तभी प्रिया ने कहा- सर, आज का आपका माल तैयार है।
ये सुनते ही मुझे होश आया कि मैं तो पूरी नंगी हूँ जबकि उस आदमी का पूरा बदन ढका हुआ है।
प्रिया की गांड देखने और फिर कमरे में घुसते ही हरीश जी को देखने की वजह से मैं ये भूल ही गई थी।